Bhukhi Chidiya Ki Kahani | भूखी चिड़िया की कहानी, पंचतंत्र की कहानियां

(Bhukhi Chidiya Ki Kahani) आज हम लोग इस आर्टिकल में है भूखी चिड़िया की कहानी के बारे में जानेंगे अगर आपने बचपन में पंचतंत्र की कहानियां सुनी होगी तो इसमें भूली चिड़िया की कहानी कभी ना कभी तुमने जरूर सुनी होगी। अगर नहीं सुनी है तो आज हम इस आर्टिकल में भूखी चिड़िया की कहानी के बारे में जानेंगे।

और मैं आपको पूरा विस्तार रूप से बताऊंगा कि वो किसी जा की कहानी का अर्थ क्या है क्योंकि बहुत सारे लोग इस कहानी को जानना चाहते हैं इसके बारे में समझना चाहते हैं इसलिए आज का यह आर्टिकल उन्हीं लोगों के लिए है जो इस कहानी को जानना चाहते हैं।

दोस्तों हमारे जीवन में ऐसे कई सारे लोग कहते हैं जहां पर हमें लगता है कि हमें दूसरे लोगों पर निर्भर होने की बजाय खुद पर काम करना चाहिए क्योंकि हम दूसरों के भरोसे अगर बैठे रहे तो न जाने समय आने पर हम उस काम को खुद से ठीक कर पाएंगे कि नहीं इसलिए हमेशा खुद पर भरोसा रखना चाहिए।

और हो सके तो किसी और पर भरोसा करें लेकिन उस पर ही निर्भर मत रहे जबकि आज का ही आर्टिकल में आप अच्छी तरह से समझ जाओगे कि किसी पर पूरा निर्भर रहना आप के लिए कितना हानिकारक हो सकता है और आज हम इस कहानी से बहुत कुछ सीखने वाले हैं तो आइए जानते हैं Bhukhi Chidiya Ki Kahani के बारे में।

Bhukhi Chidiya Ki Kahani | भूखी चिड़िया की कहानी

काफी समय पहले की बात है एक छोटे से गांव में एक दिन खुद चिड़िया अपने माता-पिता और अपने पांच भाई बहनों के साथ रहते थी। पिंकू चिड़िया बहुत ही छोटी सी थी उसके पंख बहुत ज्यादा मुलायम हुआ करते थे उसकी मां ने उसे घंटाघर की ताल पर चेकना भी अच्छे से सिखाया था।

पुस्तक घंटाघर के पास एक छोटा सा घर हुआ करता था जिसमें पंक्तियों से प्यार करने वाली एक बहुत ही प्यारी सी महिला रहा करती थी और वो टिंकू चिड़िया को और उसके पूरे परिवार को रोज खाना भी खिला करती थी।

पिंकू चिड़िया और उसके पूरे परिवार उस महिला के ऊपर पूरी तरह से निर्भर रहते थे और वह सोचती थी कि हर रोज उसी तरह औरत टिंकू चिड़िया और उसके पूरे परिवार को इस तरह भोजन कराती रहेगी लेकिन एक दिन उस महिला की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई उसकी वजह से उस महिला की मौत हो गई।

जब उस महिला की मौत हो गई थी तब टिंकू चिड़िया और उसके परिवार वाले के पास बिल्कुल भी खाना नहीं था और वह लोग खाना जुटाने के लिए कुछ कर भी नहीं पाते एक दिन भूख से तड़प कर टिंकू चिड़िया अपने पिता से कहती है कि मुझे खाना खाना है तो उसके पिता ने गिरोह का शिकार करने का फैसला लिया।

बहुत समय लगा उसके बाद भी टिंकू जिया और उसके पिता को सिर्फ तीन चीजें मिले जो कि उसके परिवार के लिए काफी ज्यादा कम थे टिंकू जिया का परिवार 8 लोगों का था इसलिए उन्होंने टिंकू और उसके दो छोटे भाइयों को खिलाने के लिए किधर साइड में रख दिया।

और इस तरह खाने की तलाश में टिंकू भटकती रहती है उसके साथ उसका भाई और उसकी मां भी होती है वह सब एक घर की खिड़की में अपना चोंच मारते ताकि खाने के लिए कुछ मिल जाए लेकिन वहां पर उन लोगों को खाने में कुछ नहीं मिलता है और जाखड़ के मालिक ने उन पर राख फेंक देते हैं जिससे तीनों भूरे रंग के हो जाते।

और उस तरफ काफी खोलने के बाद पिंकू के पिता को एक ऐसी जगह मिल जाती है जहां पर काफी संख्या में कीड़े मकोड़े होते हैं उनकी कई दिन और खाने का इंतजाम बहुत ही आसानी से हो चुका होता है वह बहुत ज्यादा खुश खुश घर पहुंचते हैं तो वहां कोई भी नहीं होता है वह परेशान हो जाते हैं।

तभी वहां पर पिंकू चिड़िया और उसका भाई और उसके साथ उसकी मां वापस घर लौटते हैं तो पिता उन्हें पहचान नहीं पाते क्योंकि उन सभी के शरीर के ऊपर राख होता है और गुस्सा में तीन को चिड़िया के पिता सब को वहां से भगा देता है रिंकू ने पिता को समझाने की बहुत कोशिश करती है।

लेकिन पिंकू के पिता नहीं समझ पाते हैं और टिंकू उसके भाई और उसके बाद तीनों को बाहर निकाला जाता है उसके बाद उसकी मां और उसका भाई भी उदास हो जाता है लेकिन टिंकू हार नहीं मानती है वह लगातार अपने पिता को मनाने की कोशिश करती है जब वह नहीं मानते हैं तो वह उन्हें लेकर तालाब के पास जाकर सबको नहला देती है।

ताकि सब के शरीर से राख हट जाए और तीनों अपने पुराने रूप में फिर से आ जाए अब जाकर टिंकू के पिता उन सभी को पहचान लेते हैं और उन सभी से माफी मांगते हैं और अब सब खुशी-खुशी साथ रहने लगते हैं और अब तो उनके पास खाना भी आ जाता है खाने की कोई कमी नहीं रहती है।

कहानी की सीख क्या है?

दोस्तों भूखी चिड़िया की कहानी बहुत ही प्यारी कहानी थी हमें इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है और सबसे बड़ी सीख हमें यह मिलती है कि हमें कभी भी किसी पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहना चाहिए चाहे वह हमारे मां-बाप ही क्यों ना हो।

एक समय पर आकर हमें अपना खुद का ख्याल रखना चाहिए अपनी जरूरतों की चीजों को पूरा करना चाहिए पूरी तरह से किसी पर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए मेहनत करना चाहिए और अपने चीजों को पूरी तरह से पाना चाहिए।

हमारे जीवन में हमारे मां-बाप हमारे लिए कितना कुछ करते हैं वह हमारे लिए जितना हो सके उतना करते हैं लेकिन हमें पूरी जिंदगी उन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए एक समय पर आकर हमें खुद की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अगर हो सके तो आप अपने मां-बाप की जिम्मेदारी ले हमें इस कहानी से यही सीख मिलता है।

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