नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करने जा रहे छठ पूजा के निबंध (Essay on Chhath Puja in Hindi) के बारे में छठ पूजा हमारे उत्तर भारत में काफी उत्साह से मनाया जाता है यह बहुत ही पवित्र त्यौहार है इस त्यौहार को सभी लोग बहुत ही प्यार से मनाते हैं और यह त्यौहार साल में सिर्फ एक बार आता है।
सारे भरे त्योहारों में से छठ पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण देवारे यह आमतौर पर दो राज्य में मनाया जाता है इस त्यौहार को मनाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं यह दीवार है इतना प्यारा इसे हर कोई बहुत ही श्रद्धा और मन से मनाता है और छठ पूजा बिहार के लिए बहुत ही मशहूर है।
हमारे देश में बहुत बड़े बड़े त्यौहार मनाए जाते हैं जैसे कि होली दिवाली दुर्गा पूजा रक्षाबंधन लेकिन छठ पूजा भी उन त्योहारों में से एक है जो हम हिंदुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण रखता है यह त्यौहार आमतौर पर बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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दोस्तों यह जानकर आपको हैरानी होगी कि छठ पूजा नेपाल के तराई इलाकों में भी बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है इस दीवार से जुड़ी ऐसी बहुत सारी कथाएं हैं।
जो काफी प्रचलित भी है मैं आपको इसलिए कि मैं छठ पूजा के महत्व के बारे में बताऊंगा और इसी के साथ छठ पूजा पर अच्छे-अच्छे निबंध ही बताऊंगा।
Chhath Puja Essay in Hindi | छठ पूजा का निबंध (250 Words)

छठ पूजा हम हिंदुओं के लिए बहुत ही पावन बड़ा त्यौहार होता है इस दीवार में लोग छठी माता को याद करते हैं उनके लिए व्रत रखते हैं उनके लिए पूजा करते हैं।
यह त्यौहार उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत ही ज्यादा प्रचलित है और इन दो राज्यों में इस त्यौहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा का त्यौहार कार्तिक माह के छठवें शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है एक बहुत ही पावन त्यौहार है।
छठ पूजा ही एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग 3 दिन तक उपवास रखते हैं यानी कि इस दिन दिन में लोग पानी तक भी नहीं पीते हैं यह पुरुष और महिला दोनों करते हैं लेकिन आम तौर पर महिला इस पूजा को ज्यादा करती है।
इस त्यौहार को लोग बहुत ही मन से और श्रद्धा के साथ करते हैं क्योंकि लोगों का मानना है कि अगर आप सच्चे मन से छठ माता से प्रार्थना करते हैं और कुछ भी मांगते हैं तो वह आपकी मनोकामना सुनती है और पूरी भी करती है।
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यह त्यौहार काफी पावन त्योहारों में से एक है ऐसी लोगों की मान्यता है कि अगर जो इंसान छठ पूजा पूरे मन से सत्ता से करता है तो छठ माता उनसे बहुत ही प्रसन्न होती है और उनकी सारी मनोकामना पूरी करती हैं।
छठ पूजा मनाने के पीछे कारण वैसे तो कई सारे हैं लेकिन इनमें से एक कारण यह भी है कि भगवान सूर्य की एक बहन थी जिनका नाम छठ माता था तो उन्हीं के नाम से इस पूजा को किया जाता है और भगवान सूर्य से प्रार्थना किया जाता है।
Essay on Chhath Puja in Hindi | छठ पूजा निबंध (300 Words)
छठ पूजा बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है इस त्यौहार को आमतौर पर दो बार मनाया जाता है पहला बार तो चैती छठ और दूसरी बार कार्तिक छठ को मनाया जाता है। इस पर्व में छठ माता की पूजा होती है उनकी आराधना की जाती है और इसी के साथ साथ सूर्य भगवान की भी अरग देने की विशेषता है।
छठ का त्यौहार कुल 4 दिनों का त्यौहार है 4 दिनों तक यह त्यौहार चलता है इसकी शुरुआत नहाए खाए के दिन से होती है इस दिन सभी लोग जो इस छठ पूजा को मनाते हैं वह पवित्र जल गंगा से स्नान करते हैं और अच्छे पकवान बनाते हैं।
नहाए खाए दिन के बाद से नमक का प्रयोग पकवान में नहीं किया जाता है यह अशोक माना जाता है और इसी के दूसरे दिन खरना का त्यौहार मनाया जाता है खरना में लोग प्रसाद बनाते हैं और प्रसाद में गुड़ की खीर होते हैं जोकि बहुत स्वादिष्ट होते हैं।
जैसे ही शाम को पूजा होती है उसके बाद ही इस प्रसाद को सारे जगह बांटा जाता है हम अपने सारे परिवार को देते हैं और आसपास के लोगों को खीर खिलाते हैं इसके बाद जो लोग इस पवित्र पर्व को स्वीकार करते हैं उनके लिए अगले 2 दिन तक पानी नहीं पीना होता है।
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तीसरे दिन किसी नदी के किनारे या फिर तालाब के किनारे छठ माता की पूजा आराधना होती है जैसे ही सूर्य भगवान् डूबते हैं वैसे ही यह पूजा समाप्त हो जाता है सूर्य डूबने के समय गाय के दूध और जल्द से सूरज जी को अरग दिया जाता है।
इसी के साथ सभी लोग छठ पूजा के बहुत ही विशेष प्रसाद जो कि ठेकुआ और फल है वह चढ़ाया जाता है और इस त्यौहार के आखिरी दिन यानी के अगली सुबह उगते हुए सूरज को देखने के लिए लोग बहुत ही पहले नदी किनारे चले जाते हैं।
जैसे ही सूरज भगवान उगते हैं सभी के चेहरे खुशी से खिल जाते हैं और उसी वक्त सूरज को अर्घ दिया जाता है उनकी पूजा की जाती है अरग देने के बाद जो लोग व्रत करते हैं।
वह प्रसाद खाकर अपना व्रत खोल लेते हैं इसके बाद वह प्रसाद पूरे परिवार में सभी लोगों को बांट दिया जाता है और इसी तरह छठ पूजा त्यौहार पूरा होता है।
Chhath Puja Essay in Hindi | छठ पूजा निबंध हिंदी में (600 Words)
छठ पूजा का त्यौहार आमतौर पर हमारे भारत में अक्टूबर या फिर नवंबर के महीने के बीच में आता है और यह त्योहार दिवाली के 6 दिन बाद आता है इस त्यौहार को लोग बहुत ही उत्साह से मनाते हैं।
दिवाली और छठ पूजा कहीं ना कहीं दोनों साथ में ही चलते रहते हैं छठ पूजा से पहले दिवाली आता है जो कि 5 दिनों का त्यौहार होता है जिसमें से धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है इसी के कुल 6 दिन बाद छठ पूजा का आगमन होता है।
छठ पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है इस पूजा को लोग मनाते हैं मनाते हैं क्योंकि इस पूजा को करने से भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और वह आपको आशीर्वाद देते हैं क्योंकि छठ पूजा किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है 2 दिनों तक निर्जला रहना बहुत ही मुश्किल होता है।
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इसलिए जो पुरुष या फिर महिला छठ पूजा को स्वीकार करते हैं उनके लिए पूजा करते हैं भगवान उन पर अपनी दृष्टि जरूर बनाते हैं और उनकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं इस व्रत को जो लोग दिल से करते हैं वह अपने जीवन में कभी भी असफल नहीं रहते।
छठ पूजा पर्व को क्यों मनाया जाता है
छठ पूजा त्यौहार को मनाने के पीछे ऐसे कई सारे प्रचलित कथाएं हैं लेकिन मैं आपको कुछ ऐसी कथा के बारे में बताता हूं जो हर एक इंसान के जवाब पर होती है।
एक बहुत ही बड़े राजा थे जिनका नाम प्रियव्रत था वह अपने समराज के सबसे बड़े राजा थे उनको किसी भी चीज की कमी नहीं थी उनके आगे पीछे बहुत सारे नौकर चाकर बहुत बड़ा बंगला हर एक चीज उनके पास पर्याप्त था सिवाय उनके संतान के उनके पास कोई भी संतान नहीं था।
जैसे ही समय आगे बढ़ता गया वैसे वैसे राजा ने हार मान ली थी लेकिन कुछ समय के बाद ही उनका एक बच्चा पैदा हुआ जो कि दुख की बात यह है कि वह बच्चा मृत पैदा हुआ था इसके बाद राजा ने अपने बच्चे को अपनी गोद में लेकर श्मशान घाट की तरफ चल पड़े।
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बहुत समय के बाद राजा का संतान पैदा हुआ और वह भी मृत पैदा हुआ इससे बड़ी दुख की बात उस राजा के लिए और क्या हो सकती है उस समय अपने बच्चे को श्मशान घाट लेकर जा रहे थे और यह भी सोच रहे थे कि इस श्मशान घाट में मेरी भी अर्थी उठ जाए।
लेकिन अचानक उसी समय एक देवकन्या प्रकट हुई और उन्होंने राजा को बोला कि आप देवी षष्ठी की प्रार्थना करें क्योंकि देवी षष्ठी आपकी मदद कर सकती हैं वह देवसेना थी देव की बेटी थी और वह खुद देवी षष्ठी थी।
इसके बाद राजा ने उस देवसेना की बात मान ली और राजा ने प्रार्थना किया और कुछ समय के बाद राजा का एक संतान हुआ चौकी बेटा था और इस तरह से छठ पूजा का प्रथा व्रत के लिए प्रसिद्ध हो गया और तब से छठ पूजा को मनाया जाता है।
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बहुत लोगों का यह भी मानना है कि जो महिला या फिर जो पुरुष के संतान नहीं होते हैं उनके लिए यह यह पूछा किसी वरदान से कम नहीं है अगर वह सच्चे मन से सच्चे दिल से छठ माता की पूजा करते हैं तो उनकी कृपा से उनके घर में संतान की प्राप्ति होती है।
भगवान राम के लौटने की खुशी में
सभी को पता है कि जब भगवान श्रीराम ने अपना 14 साल का वनवास काटकर अपने अयोध्या के लिए लौट रहे थे तब उनके आने की खुशी में खूब सारी दिए जलाए खूब सारी जश्न मनाएं और तब से दिवाली मनाने का प्रथा शुरू हुआ था।
इसके के बाद छठ पूजा भी मनाने की प्रथा यहीं से शुरू हुई थी। ऐसी और एक मान्यता है कि जब हमारे भगवान श्री राम जी और माता सीता अपने 14 साल का वनवास काट कर लौट रहे थे तो उन्होंने भी इस पूजा को किया था।
सारे परंपरा का पालन करते हुए अभी के लोग प्रार्थना की पेशकश समीक्षा करते हैं और इस दिन को व्रत रखते हैं तब से इस त्यौहार को इस तरह से उत्साह के साथ मनाया जाना शुरु हो गया और लोग इसे बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
Chhath Puja Par Nibandh 10 Lines
Conclusion
दोस्तों छठ पूजा इतना महत्वपूर्ण पूजा है कि इसे वही लोग करते हैं आमतौर पर यह साल में दो बार आता है चैत्र छठ में और कार्तिक छठ में चैती छठ में लोग ऐसे नहीं करते क्योंकि उस समय बहुत ही गर्मी होती है।
इसलिए उससे में निर्जला व्रत रखना बहुत ही मुश्किल हो जाता है लेकिन चैत्र छठ में बिहार और उत्तर प्रदेश में सभी परिवार में इसको बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है कठिन उसमें भी होता है लेकिन उस समय ठंड का समय होता है इसलिए लोग इसे स्वीकार करते हैं।
बहुत ही श्रद्धा के साथ उत्साह के साथ इस पर्व को मनाते हैं छठ पूजा हम हिंदुओं के लिए क्या मायने रखता है हम सभी को पता है लेकिन छठ पूजा मनाने के पीछे कारण क्या है इसके बारे में हर एक इंसान को जानना बहुत जरूरी है।
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जिस इंसान को संतान नहीं हो रहा है या फिर पुरुष अपने कार्य में सफलता नहीं पा रहे हैं तब यह छठ का पूजा उन सबको हर चीज की प्राप्ति करा सकता है|
अगर आप सच्चे मन और श्रद्धा के साथ इस पूजा को करते हैं तब छठ का पूजा हम सभी के लिए बहुत ही प्यारा है इसे हर कोई बहुत ही उत्साह के साथ स्वीकार करता है।